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सियासत इंसानियत के नाम पर हो! धर्म या जाति के नाम पर ना हो.

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(Politics)अगर कोई एक मजहब में दूसरे मजहब को खुद के फायदे के लिए जोड़ें कानूनी जुर्म है.

(Politics) सजग नागरिक टाइम्स :

इस्लाम मजहब अमन और शांति फैलाने वाला मजहब है. और इस्लाम मजहब सिखाता है, हर किसी को उसकी इज्जत दो!

और जो शख्स मुसलमान होता है उस पर “शरीयत” की तरफ से बहुत सारी पाबंदियां होती है.

अल्लाह ताला फरमाते हैं “मेरे पास हर गुनाह की माफी है सीवाय शिर्क के मैं शिर्क करने वालों को कभी माफ नहीं करता”

शिर्क किसे कहते हैं?

एक शख्स अल्लाह को तो मानता है पर वह यह कहता है की अल्लाह के अलावा भी कोई इबादत के लायक है, वो शिर्क है.

हालांकि इस्लाम नाम ही एक अल्लाह को मानने का है.

” नहीं कोई माबूद सिवाय अल्लाह के ” और भारत का संविधान भी हम मुसलमानों को यह इजाजत देता है कि हम अपने मजहब के मुताबिक जिंदगी गुजारे,

अगर कोई एक मजहब में दूसरे मजहब को खुद के फायदे के लिए जोड़ें कानूनी जुर्म है.जो आए दिन हमारे हिंदुस्तान में चल रहा है!

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कभी कोई मुसलमान मूर्ति की पूजा करता है तो कभी कोई हिंदू टोपी पहन लेता है हालांकि यह एक मजहब में होते हुए दूसरे मजहब के तरीकों को इस्तेमाल करना मजहब का मजाक है किसी धर्म की किताब में यह नहीं लिखा है कि दूसरे धर्म का पालन करो!

हां सम्मान करने को बताया है यही बात हमको समझनि है, हम को चाहिए कि हम हर मजहब की इज्जत करें हम में से किसी को यह हक नहीं के ऐसा कुछ काम करें जिससे अपने मजहब वालों को तकलीफ हो.

जैसा के मुसलमान होते हुए पूजा पाठ करना हिंदू होते हुए नमाज पढ़ना वगैरह .

आओ आज हम यह तय करें कि जो कोई मजहब के आड़ में खुद के फायदे को सामने रखते हुए मजहब के साथ खिलवाड़ करें ऐसे लोगों को सबक सिखाएं ,

इनको इनकी हैसियत समझाएं इनका खुलकर विरोध जताए हर कोई अपने मजहब पर चले किसी के मजहब में दखलअंदाजी ना करें सियासत इंसानियत के नाम पर हो! धर्म या जाति के नाम पर ना हो.

( मौलाना शाहरुख अजीज खान)

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