इस्लामने मुसलमानो को साल के १२ महीने में एक महीने की ट्रेनिंग का ऐसा नियम सिखाया है जिससे हर बन्दा अपने आप को ऐसा बना ले जैसा बनदे का रब चाहता है “माहे रमजान जिस्मानी .रूहानी ,और मानसिक ट्रेअनिंग के साथ खुदा की इबादत और नेकियोंकी मोसमे बहार है .इस्लामी महीने में रमजान महीने का बहुतही बड़ा मरतबा है.इसलिए नही कीयह एक रोजे का महीना है.जिसमे इन्सान रोज़ा रखता है.बल्की इसलिए की इसका पूरी दुनियासे सामजिक सरोकार भी है.ये पाक महीना है क्योकि इसी महीने में पवित्र किताब “कुरआन ए पाक” :को इस धरती पर उतरा गया .इसी वजहसे इस महीने में कुरआन ए पाक” का मुकम्मल पड़ना सुनना बाबरकत और फजीलत वाला है.इस महीने की खासियत यह है की १ नेकी का सवाब ७० गुना बढ़ा दिया जाता है .इस महीने में इन्सान को बहकाने वाले शैतान को खुदा कैद कर देता है ताकि इन्सान बुराइयोसे बच सके.रोज़े की हालत में इन्सान अध्यात्मिक स्तर पर बहुत ऊँचा ऊँठ जाता है .भूक और प्यास के साथ अल्लाह को याद करने के लिए एक सतत इबादत में मशरूफ रहता है .यही वजह है की इन्सान खुदा के बहोत करीब होने लगता है.रमजान में इन्सान मुलभुत जरूरी चीजोंसे’दूर रहता है .